Tea lover 100 shayari in hindi
होंगे लाखों दीवाने उनके हुस्न के,
हम तो आज भी सुबह की,
चाय के दीवाने हैं..!!!
मान लो मेरी राय,
इश्क से बेहतर है चाय..!!!
ये चाय महज चाय नहीं है,
हमारे लिए तो ये आक्सीजन है..!!!
ज़िंदगी वही इस दुनियां में जीतें है,
जो बुढ़ापे में भी अपने दोस्तों के साथ,
चाय पीते है..!!!!
खबर फैली मोहल्ले में तेरे,
मेरे इश्क की इस कदर,
लोग चाय की चुस्कियों से ज्यादा,
नाम हमारा लेने लगे..!!!
बड़ों की राय जिंदगी और,
सुबह की चाय दिन के लिए अच्छी होती है,
हम तो आज भी सुबह की,
चाय के दीवाने हैं..!!!
मान लो मेरी राय,
इश्क से बेहतर है चाय..!!!
ये चाय महज चाय नहीं है,
हमारे लिए तो ये आक्सीजन है..!!!
ज़िंदगी वही इस दुनियां में जीतें है,
जो बुढ़ापे में भी अपने दोस्तों के साथ,
चाय पीते है..!!!!
खबर फैली मोहल्ले में तेरे,
मेरे इश्क की इस कदर,
लोग चाय की चुस्कियों से ज्यादा,
नाम हमारा लेने लगे..!!!
बड़ों की राय जिंदगी और,
सुबह की चाय दिन के लिए अच्छी होती है,
इसे लेते रहना चाहिए...!!!
असली जिंदगी वही जीते हैं,
जो चाय पीते हैं..!!!
बचपन में कहते थे ना,
अच्छे बच्चे चाय नहीं पीते,
हम तब से ही बुरे है..!!!!
अगर तीन वक्त की चाय तुम पिला दो,
तो दो वक्त की रोटी मैं खिला दूँ..!!!
असली जिंदगी वही जीते हैं,
जो चाय पीते हैं..!!!
बचपन में कहते थे ना,
अच्छे बच्चे चाय नहीं पीते,
हम तब से ही बुरे है..!!!!
अगर तीन वक्त की चाय तुम पिला दो,
तो दो वक्त की रोटी मैं खिला दूँ..!!!
लोगों को मिलता होगा सुकून इश्क से,
हमें तो सुबह की चाय के बिना चैन नहीं..!!!
सुबह की चाय में,
तुम्हारी यादों की वो मिठास है,
जिसके बिना मेरी जिंदगी और,
चाय दोनों फीकी लगती है..!!!
इकतरफा इश्क में इस कदर दिल टूट गया है,
कि दोस्तों के साथ चाय पीना भी छूट गया है..!!!
हल निकाला है उदासी का,
जितना मुमकिन हो चाय पिओ...!!!
वक्त लगती है कड़क चाय,
और अच्छे रिश्ते बनने में..!!!
रजाई में हैं हम और उनकी यादें हैं सीने में,
ऐसी सर्द सुबह का मजा तो है,
गर्मागर्म चाय पीने में..!!!
आज उनसे प्यार का इज़हार करना है,
इसलिए आज शाम हमें चाय पर मिलना है..!!!
अगर तुम दूर ना होते,
तो मिलकर चाय पीते..!!!
अकसर चाय की टेबल पर,
कुछ तमन्नाएँ रह जाती है,
प्याली तो छू जाती है,
लेकिन केतली वही पड़ी रह जाती है..!!!
ढलते सूरज को देखकर,
हम अपनी ख्वाहिश बयां कर देते हैं,
महबूब से कहकर दो-तीन कप चाय,
और बनवा लेते हैं..!!!
शाम की इक चाय तुम्हारी,
इक चाय हमारी,
कुछ किस्से तुम्हारे,
और कुछ किस्से हमारे..!!!
थक गया हूँ सबकी राय से,
मुझे मोहब्बत है सिर्फ चाय से..!!!
दिन की चाय वाजिब है,
तो शाम की चाय फर्ज है..!!!
कड़क चाय का मज़ा,
कड़ाके की ठंड में ही आती है..!!!
ये जनवरी का महीना और ये सर्द शामें,
काश तुम मेरे पास होते तो एक-एक चाय हो जाती..!!!
अक्सर तन्हाई में गुजर जाया करती हैं शामें मेरी,
दिल कहता है काश कोई शाम की चाय पर बुला ले मुझे..!!!
जब सुबह-सुबह तेरे प्यार के नगमें को गुनगुनाता हूं,
लब मुस्कुराते है जब चाय का कप उठाता हूं..!!!
आओ कभी साथ बैठकर चाय पीते है
सुना है साथ में चाय पीने से महोब्बत बडती है..!!!
हम तुम में ऐसे घुलना चाहते है,
जैसे चाय में बिस्कुट गुलती है..!!!
तेरे जाने के बाद अब तो,
शाम की चाय भी हमसे रूठ गई,
इस चाय में अब वो बात न रही,
जो तेरे हाथ की बनी चाय में थी..!!!
जब सुबह-सुबह तेरे प्यार के,
नगमें को गुनगुनाता हूं,
लब मुस्कुराते है जब,
चाय का कप उठाता हूं..!!!!
पीने को तो बहुत कुछ हैं,
पर मुझे सिर्फ चाय पसंद है..!!!
वो सुबह भी क्या मस्त होगी,
जब आप साथ होंगी और हाथों में चाय होगी...!!!
उफ्फ! ये इश्क और ये तन्हा शाम,
एक हाथ में चाय की प्याली,
और लबों पर अभी भी उसका नाम..!!!!
आखिर एक शाम हमने पूछ ही लिया उनसे,
सुनो कैसी लगती है वो चाय जो मेरे बगैर पीते हो..!!!
मेरे जज़्बातों का कोई तो सिला दो,
कभी घर बुला के चाय तो पिला दो..!!!
मैने पूछा चाय से की,
देखा है आशिक मुझसा कोई,
चाय ने कहा अदरक की कसम नहीं नहीं...!!!
कोशिश बहुत कर के देख ली,
एक तुम्हारी आदत और दूसरी चाय छुट्टी ही नहीं..!!!
वो शाम को जब ऑफिस से आते हैं,
हम भी उनका इस्तकबाल चाय से करते हैं,
इसी बहाने वो हमें और चाहने लगे हैं...!!!
इश्क़ और सुबह की चाय,
दोनों एक समान होती हैं,
हर बार वही नयापन,
हर बार वही ताज़गी...!!!!
हमारी आशिकी की तुम्हे क्या मिशाल दे,
हम तो 45 डिग्री में भी चाय पीते है...!!!
शाम की चाय की आदत सी हो गई हो तुम,
लाख कोशिश कर लें छोड़ने की पर,
तलब लग ही जाती है..!!!!
आओ न सुबह की चाय पिलाते हैं,
मीठे में शक्कर की जगह इश्क मिलाते हैं...!!!
चाय जैसा किरदार है मेरा,
किसी को हद से ज्यादा पसंद हुं,
तो किसी को नाम से ही नफरत..!!!
बारिशों का मौसम और उसपर तुम्हारी याद,
चलो फिर मिल लेते हैं,
शाम को उसी चाय की टपरी पर...!!!
इस भागते हुए वक़्त पर कैसे लगाम लगाई जाएँ,
ऐ वक़्त आ बैठ तुझे एक कप चाय पिलाई जाएँ....!!!!!
वो शाम को जब ऑफिस से आते हैं,
हम भी उनका इस्तकबाल चाय से करते हैं,
इसी बहाने वो हमें और चाहने लगे हैं...!!!
इश्क़ और सुबह की चाय,
दोनों एक समान होती हैं,
हर बार वही नयापन,
हर बार वही ताज़गी...!!!!
हमारी आशिकी की तुम्हे क्या मिशाल दे,
हम तो 45 डिग्री में भी चाय पीते है...!!!
शाम की चाय की आदत सी हो गई हो तुम,
लाख कोशिश कर लें छोड़ने की पर,
तलब लग ही जाती है..!!!!
आओ न सुबह की चाय पिलाते हैं,
मीठे में शक्कर की जगह इश्क मिलाते हैं...!!!
चाय जैसा किरदार है मेरा,
किसी को हद से ज्यादा पसंद हुं,
तो किसी को नाम से ही नफरत..!!!
बारिशों का मौसम और उसपर तुम्हारी याद,
चलो फिर मिल लेते हैं,
शाम को उसी चाय की टपरी पर...!!!
इस भागते हुए वक़्त पर कैसे लगाम लगाई जाएँ,
ऐ वक़्त आ बैठ तुझे एक कप चाय पिलाई जाएँ....!!!!!
वो पल भी कोई पल है,
जिस पल तेरा एहसास ना हो,
वो चाय फिर चाय कैसी,
जिसमें तेरे होठों सी मिठास ना हो..!!!
मिलो कभी चाय पर,
फिर कोई किस्से बुनेंगे,
तुम खामोशी से कहना,
हम चुपके से सुनेंगे..!!!
अरे कभी खुद के लिए भी जिया करो,
कोई दे या न दे बना कर,
तुमको चाय तो तुम बस अपने हाथ से,
बनाकर पिया करो..!!!!
न करना कभी मेरी,
मोहब्बत पर शक ए-सनम,
हमने तुमसे सुबह की,
चाय सा इश्क किया है,
जिसके न मिलने पर,
दिन अधूरा सा लगने लगता है....!!!
तोड़ दो आओ मिलकर बंदिशों को सबही,
दोस्तों के साथ बैठकर,
चाय तो पी लो कभी..!!!
चाय फीकी पर जाती है,
तुम्हारी मीठी बातों के सामने...!!!!
चाय के बाद दूसरा रंग तुम्हारा है,
जो मुझे सांवला अच्छा लगता है..!!!
जब सुबह सुबह तेरे प्यार के,
नग्में को गुनगुनाता हूं,
लब मुस्कुराते है जब,
चाय का कप उठाता हूं...!!!!
न चांद ला सकता हूं,
न तारे तोड़ सकता हूं,
जमीन से जुड़ा आशिक हूं,
यार तुम्हारे लिए चाय बना सकता हूं..!!!
सुबह फिर मेरी चाय ज्यादा मीठी हो गई,
तुम यूं बार-बार मुझे याद न आया करो..!!!
मैं सो रहा हूँ कोई तो जगा दो,
अद्रक वाली चाय कोई तो पिला दो...!!!!
कुछ और ना बताइये,
चाय का लुफ्त उठाइये...!!!!
कुछ इस तरह से,
शक्कर को बचा लिया करो,
चाय जब पीओ हमें,
जहन में बिठा लिया करो...!!!!
हाथ में चाय और यादों में आफ हो,
फिर उस खुशनुमा सुबह की क्या बात हो..!!!
मैं जानता नहीं बदलना,
मौसम की तरह मैंने तुम्हें चाहा है,
सुबह की चाय की तरह...!!!!
सुबह की चाय और इश्क दोनों एक जैसे हैं,
हर बार वही नयापन और,
हर बार वही ताजगी...!!!!
चलो इस बेफिकर दुनिया को,
खुलकर जी लेते है,
सब काम छोड़ो,
पहले चाय पी लेते है...!!!!
चाय दुकान की बातें,
मयखाने से कई बेहतर होती है...!!!
तेरी यादों का नशा है मुझे,
चाय की तरह,
सुबह सबसे पहले,
तेरी ही याद आती है..!!!
ये खामोश से लम्हें,
ये गुलाबी ठंड के दिन,
तुम्हें याद करते करते,
एक और चाय तुम्हारे बिन...!!!
असली दीवाना तो वो है,
जो कहे गर्मी की ऐसी कि तैसी,
भाई तू बस,
चाए पिला मलाई मार कर...!!!
ये सवेरा मेरा चाय से शुरू जरूर होता है,
पर मेरी शाम तेरी याद में ही गुजरती है..!!!
इंतज़ार का वक़्त इतना प्यारा ना होता,
अगर साथ में चाय का सहारा ना होता..!!!
धोखा के बाद चाय ही ऐसी चीज है,
जिससे आँखें खुलती है...!!!
सुबह की चाय से भी वो,
ताजगी नहीं आती है,
जो सुबह में तेरी,
एकझलक पा जाने में आती है...!!!
मिलो न कभी चाय पर,
वही पुराने किस्से सुनेंगे,
तुम बस बोलती रहना,
हम खामोश होकर चुस्कियों में सुनेंगे...!!!
नींद से उठते ही चाय और,
जहन में आपकी यादें हों,
ऐसी खूबसूरत सुबह की क्या बात हो..!!!
मायूस चेहरे उस वक़्त खिलगे,
जब सारे दोस्त चाय पर मिलेंगे...!!!
दाग लग ही जाता है,
चाहे चाय गिरे या चरित्र..!!!!
जब सुबह सुबह तेरे,
प्यार के नग्में को गुनगुनाता हूं,
लब मुस्कुराते है जब,
चाय का कप उठाता हूं..!!!!
खबर फैली मोहल्ले में,
तेरे मेरे इश्क की इस कदर,
लोग चाय की चुस्कियों से ज्यादा,
हमारा नाम लेने लगे..!!!
मेरी जिंदगी की सुबह,
शाम या कोई भी रात हो,
एक प्याली चाय हो और,
दूसरा तुम्हारा साथ हो..!!!!
ए मेरे सनम एक गुजारिश है तुमसे,
मिलने आओ कभी सुबह की चाय पर हमसे,
शक्कर की जगह प्याली में देंगे,
तुम्हें इश्क घोलकर..!!!!
बिना चीनी की चाय और,
बिना गाली के दोस्ती बेकार ही लगती है..!!!
कभी अपने लिए भी जी लो,
थोड़ा वक्त निकालो और,
मेरे साथ चाय पर कभी तो चलो..!!!
एक कप चाय दो दिलो को मिला देती है,
एक कप चाय दिन भर की,
थकान मिटा देती है..!!!!
हम तुम शायरी और एक कप चाय,
ख्वाब भी देखो जान मेरे कितने हसीन है...!!!
जीने का मजा है इश्क करने में,
पर असली मजा तो तब है,
जब प्यार ऐसा मिले जो,
झिझक न करे भरी गर्मी में चाय पीने में..!!!
तुम्हारे हाथों की बनी चाय के,
गर्म एहसासों की जरूरत है मुझे,
सुबह की सर्दी और तुम्हारी जुदाई,
हमसे अब बर्दाश्त नहीं होती..!!!!
मुझे लत चाय की लगी है और,
इल्जाम मोहब्बत पर आता है..!!!
ज़िंदगी की चाय को अगर अच्छी बनानी है,
तो मेहनत की आंच पर थोड़ा पकने दो..!!!
अपनी अपनी आदत होती है,
मेरे दोस्त वो आज भी बेवफा है,
और हम भरी गर्मी में भी,
चाय से वफा निभा रहे हैं...!!!!
उफन रही थी चाय मेरे,
इश्क की तरह,
इजहार-ए-करार उनका हुआ,
तो उसमें मिठास घुली,
और महफिल सुबह की,
पकौड़ों सी हो गई..!!!!
पीने बैठता हूं चाय तो,
दिन पुराने याद आ जाते हैं,
दोस्तों के साथ बिताए,
वो जमाने याद आ जाते हैं...!!!!
बेवक्त बारिश का आ जाना,
तुम्हारा हम से चाय पर मिलने का बहाना,
हमें बड़ा पसंद आता है..!!!!
कुछ लोग चाय को हाथ तक नहीं लगाते,
एक हम हैं कि दिल लगाए बैठे है..!!!
चाय को सिर्फ चाय ना कहिए,
ये हमारे उलझनों कि दवाई है..!!!
इश्क़ मोहब्बत सब एक बला है,
अदरक वाली चाय पियो उसी में भला है..!!
चाय मुझे मीठी ही पसंद है,
कड़वे घूंट तो जिंदगी दे ही रही हैं..!!!
हमारी मोहब्बत देखनी है तो,
तो हमारे साथ चाय पीने बैठना कभी..!!!
शोंक दो ही अच्छे है एक मस्त लाइफ जीने का,
दूसरा कप भर के चाय पीने का..!!!
सुनो ये हकीकत बहुत पुरानी है,
चाय आज भी दिल की राजधानी है..!!!
बदल देती हैं चेहरे की रंगत,
चाय भी सर्जरी से कम नहीं..!!!
एक तू ही है जिसने वक,
के साथ रंग नहीं बदला..!!!
इश्क़ अधूरा चलेगा मगर,
चाय आधा कप नहीं..!!!!
पहले तेरी चाहत हुई फिर आदत हुई,
फिर तेरी लत लग गई अब जरूरत हुई...!!!
शोर सी जिंदगी में,
सुकून सा इश्क़ है चाय..!!!
लोग कहते हैं चाय पीने से सुगर बढ़ती है,
हम कहते हैं चाहत बढ़ती है....!!!
जिंदगी ने जो भी गम दिए,
चाय पीकर ख़तम कर दिए..!!!
आदत नहीं लाईलाज बीमारी है,
चाय से इस कदर यारी है..!!!!
अगर तुम दूर ना होते तो,
मिलकर चाय पीते..!!!